बहुत लोग कॉमेंट में या मेसेंजर पर डायरेक्ट मेसेज करके आइस नेटवर्क प्रोजेक्ट के बारे में पूछ रहे थे और खास करके इसका पाई नेटवर्क के साथ कम्पेरिजन जानना चाहते थे। क्योंकि अभी ज्यादा आइस कोइन मिलने की वजह से और इसका इंटरफेस एट्रेक्टिव होने की वजह से इसे पसंद किया जा रहा है। अभी हाल ही में सात जुलाई को ये प्रोजेक्ट लॉन्च हुआ है। सोशियल मीडिया पर खास करके ट्विटर पर इसकी पोस्ट करनेवाले लोग अपना इन्विटेशन कोड शेर कर रहे हैं ताकि रेफरल टीम बढ़ा सकें और आइस कोइन भी।
तो पहले आइस नेटवर्क के बारे में कुछ जानेंगे जैसे की इसमें कैसे माईनिंग होता है, इसका फार्मूला क्या है, इसकी ब्लॉकचेन कौनसी है। KYC, वॉलेट, नोड और कॉम्यूनिटी के बारे में - अति संक्षिप्त में और आसान भाषा में समझने का प्रयत्न करेंगे। और साथ में पाई नेटवर्क के फीचर्स के साथ इसकी तुलना भी करते रहेंगे। जिससे आप खुद इस वीडियो के अंत में डिसीजन ले सकें।
सबसे पहेले इसकी ऑफिशियल वेबसाइट ice.io पर जाते हैं। लिखा है - आइस, एक डिजिटल करंसी है जिसे आप अपने फोन का उपयोग करके मुफ्त में माइन कर सकते हैं। ये आपकी मोबाईल की बैटरी ज्यादा नहीं खाता और ये डिसेंट्रलाइज़्ड नेटवर्क है। अपने फ्रेंड्स को इन्वाइट करें और अपनी कॉम्यूनिटी बढ़ाएं।
ये कुछ बेसिक जानकारी दी है। जैसे की इसमें भी माइनिंग बटन पर चौबीस घंटे में एक बार क्लिक करना होता है। पूरी दुनिया में से कोई भी इसमें ज्वाइन हो सकता है। एक ही अकॉउंट बना सकता है। और भविष्य में जब आइस कोइन को क्लेम करना है तो तब वेरिफिकेशन के लिए KYC प्रोसेस करनी पड़ेगी। अब आइस कोइन का करेंगे क्या ? तो इसके लिए लिखा है। सात अक्टूबर दोहजार चौबीस तक फेस १ रहेगा। जिसमें कुछ डी एप्स का अनाउंसमेंट करेंगे जिससे वास्तविक दुनिया में आइस कोइन का उपयोग हो सकें।
फिर फेस २ में - मेंनेट रिलीस किया जाएगा जिसमें आइस कोइन का लेन देन , एक्सचेंज और पेमेंट कर सकेंगे।
इसके आलावा व्यापारियों की ईकॉमर्स वेबसाइट और ऑनलाइन शॉप में आइस कोइन का इंटीग्रेशन हो सकें इसके लिए डेवेलपमेंट होगा। तब तक यानि फेस २ में जब आइस कोइन लिस्ट होगा तब इसकी मार्किट वेल्यू होगी तब तक इसकी कोई कीमत नहीं है।
ये स्केम हे या नहीं ? उसके जवाब में लिखा है - बिस सीनियर इंजीनियर्स , सोसिओलॉजिस्ट, और इकोनॉमिस्ट इस पर एक साल से काम कर रहे हैं। हालांकि टीम में कौन हे उनके नाम कहीं लिखे नहीं है।
इस प्रोजेक्ट में फेक अकॉउंट को या डुप्लीकेट अकॉउंट को कैसे रोकेंगे - तो इसके लिए एक कम्पनी के साथ पार्टनरशिप की है -जिसका नाम है एपडॉम - अब ये कम्पनी कुछ तो पैसे लेगी। और शायद भविष्य में ये अपने चार्जिस भी बढ़ाएं। अभी तो kyc प्रोसेस कौन करेगा इसका ज़िक्र नहीं है परन्तु अगर यही कम्पनी kyc करेगी तो लोगों को अपना डाटा देने के लिए इस पर विश्वास करना होगा। क्या दुनिया के सभी माइनर्स किसी थर्ड पार्टी प्राइवेट कम्पनी को अपना डेटा देंगे? क्या आप देंगे ? जरा सोचिए।
इस प्रोजेक्ट में टोटल सप्लाई कितनी होगी यानि कुल मिला कर कितने आइस कोइन बनाने हैं उस प्रश्न के निचे लिखा है - की - जब तक फेस १ समाप्त नहीं हो जाता है तब तक इस प्रोजेक्ट के रजिस्टरड यूज़र्स, रेगुलर माइनर्स और बोनस का पता नहीं लग सकता। तो फेस १ पूर्ण होने के बाद टोटल कोइन कितने होंगे वो तय कर सकेंगे। तो अभी टोटल कितने आइस कोइन बनाने हैं उसका आंकड़ा कहीं नहीं बताया है। तो इससे क्रिप्टो एक्सपर्टस को थोड़ा डाउट लग रहा है की डिमांड एन्ड सप्लाई के हिसाब से इसकी कीमत क्या होगी।
आगे जानते हैं। इसकी वेबसाइट पर यहाँ लिखा है ये कॉस्मॉस ब्लॉकचैन पर बना हुआ है। यानि इसकी खुदकी ब्लॉकचेन नहीं है। अब कॉस्मॉस के बारे में फटाफट थोड़ा जान लेते हैं। कॉस्मॉस नाम की ब्लॉकचेन का अपना कोइन हे जिसका नाम हे atom. एटम की कीमत अभी दस डॉलर के आस पास है। कॉस्मॉस हब करके एक इन्टरचेन - है - यानी ब्लॉकचेन का इंटरनेट। कॉसमॉस के भीतर बनाई गई प्रत्येक नई स्वतंत्र ब्लॉकचेन भी एटीओएम क्रिप्टोकरेंसी द्वारा संचालित होती है। तो इस प्रकार से देखा जाए तो आइस कोइन की कीमत भी इस एटम पर निर्भर हो सकती है। कन्सेंसस प्रोटोकॉल की बात करें तो आइस नेटवर्क टेंडरमिंट कन्सेंसस प्रोटोकॉल का उपयोग करता है। इसकी कॉस्मॉस ब्लॉकचेन में यही टेंडरमिंट प्रोटोकॉल काम करता है। टेंडरमिंट जो हे वो जिस बायज़ेन्टाइन फॉल्ट टॉलरेंस - पर काम करता है वो ही प्रोटोकॉल पाई नेटवर्क में भी है। परन्तु पाई नेटवर्क में कोइन स्टेकिंग के साथ साथ सिक्युरिटी सर्कल से बना ट्रस्टग्राफ है।
टेंडरमिंट प्रोटोकॉल के साथ कॉस्मॉस 2016 में पब्लिश हुआ और अभी भी कॉस्मॉस में काम चालू है। ये उसकी टीम है। तो शायद अंदाज़ा लगा सकते हैं की - आइस प्रोजेक्ट में भी इन लोगों में से कुछ लोग शामिल हो सकते हैं। कुछ और इन्वेस्टर्स भी हो सकते हैं जिन्होने पाई के कंसेप्ट से प्रेरणा लेकर मोबाईल में माइनिंग का ये आइसवाला प्रोजेक्ट बनाने का सोचा हो। ब्लॉकचेन तो हे की इसकी और हाँ कॉस्मॉस की एसडीके -यानि सिस्टम डेवलपमेंट किट - भी पहेले से बनी हुई है। जो आइस की इकोसिस्टम बनाने में काम में आ सकती है।
नोड की बात करें तो - आइस प्रोजेक्ट की पूरी वेबसाइट में कहीं पर भी इसका ज़िक्र नहीं है। परन्तु ये कॉस्मॉस ब्लॉकचेन पर बना हे तो नोड भी कॉस्मॉस का ही लगेगा। तो कॉस्मॉस का नॉड लगाने के लिए यानि अपने कम्प्यूटर को कॉस्मॉस ब्लॉकचेन के साथ जोड़ना पड़ेगा। परन्तु आम इंसान के लिए ये नोड का सेट अप करने का काम आसान नहीं है। कमांडप्रोम्प्ट पर कमांड लिखना आना चाहिए। और आइस नेटवर्क के फार्मूला में नोड से मिलने वाले फायदे ही नहीं है। तो भाई नोड लगाएगा कौन ?
आइस कोइन बढ़ाने का एक ही फार्मूला है। की रेफरल टीम ज्यादा बनाओ तो आइस कोइन ज्यादा बनेंगे। या फिर लोकअप में ज्यादा स्टेक करो। इसकी तुलना में पाई में अन्य बहुत तरीके हैं पाई को कमाने के जैसे की सिक्युरिटी सर्कल, पाई ब्राउजर में यूटिलिटी का उपयोग, फिर हे वेलिडेशन करके पाई मिलते हैं, और नोड लगाओ तो उसके भी रिवॉर्ड्स मिलते हैं।
अब बात करते हैं आइस नेटवर्क में वेलिडेटर्स कैसे बन सकते हैं। तो पहले तो एक साल में 42 वेलिडेटर्स होंगे जिन्होने ज्यादा आइस कोइन स्टेक किए हैं और पांच साल में उनकी संख्या 294 तक पहुचेंगी - अब उनमें से आइस नेटवर्क की टीम 11 वेलिडेटर्स चुनेगी। जो ब्लॉकचेन में ब्लॉक जनरेट करने का काम करेंगे। एक तरह से इससे डिसेंट्रलाईज़ेशन के कंसेप्ट पर खतरा है। क्योकि पूरा नेटवर्क ये चुने हुए वेलिडेटर्स आगे बढ़ाएंगे। पाई नेटवर्क में तो कोई भी वेलिडेटर बन सकता है। और KYC अप्रूवल का काम भी कर सकता है। है न ?
आइस प्रोजेक्ट में माइनिंग तो लोग करते हैं। और अभी तो आइस कोइन भी ज्यादा मिलते हैं। इसमें डे ऑफ़ का सिस्टम है जो फेज १ में रहेगा। आपने छे दिन माइनिंग किया हे तो एक दिन डे ऑफ़ का बोनस मिलता है। यानि सांतवे दिन आप माइनिंग करना भूल गए तो माइनिंग चालू रहती है। उसी प्रकार 30 दिन कंटीन्यू माइनिंग करने पर 5 दिन डे ऑफ़ मिलता है। और डे ऑफ़ इकठा होता रहता है। परन्तु आपके पास कोई डे ऑफ़ जमा नहीं है और आप माइनिंग करना भूल गए तो आइस कोइन कटना शुरू हो जाता है। इसको स्लेशिंग नाम दिया गया है। अगर आप इन एक्टिव रहते हैं तो आपके बनाए हुए आइस कोइन दिन ब दिन कम होते जाते हैं।
एक महीना माइनिंग नहीं किया तो पिछले एक महीने के कोइन चले जाएंगे। और दो महीने तक एक्टिव नहीं रहे तो सभी कोई चले जाएंगे। इन्होने ये इस लिए रखा है ताकि लोग एक्टिव रहें और माइनिंग करते रहें। परन्तु इसकी विपरीत असर भी लोगों के मन पर हो सकती है - की भाई भले एक्टिव न रहें परन्तु कोइन तो वहीँ रहने चाहिए हमारे अकॉउंट में । और हाँ ब्लॉकचेन में कोइन कहाँ जाते हैं ऐसा भी कहीं बताया नहीं है। पाई में ऐसा नहीं है - पाई के वेरिफाइड अकॉउंट में आप माइनिंग नहीं करेंगे तो आप के कोइन कभी जीरो नहीं होंगे। तो कुछ लोगों को आइस प्रोजेक्ट का ये फीचर अच्छा नहीं लगा होगा । हाला की ये फेस १ तक सिमित रहे तो अच्छा है, नहीं तो लोग इनएक्टिव रहने पर आइस कोइन को खो देंगे। इसकी वजह से ये प्रोजेक्ट शायद लम्बी रेस का घोडा नहीं बनेगा।
मित्रों, अभी आईस कोइन तो नंबर के स्वरूप में जनरेट होते दिखाई देते हैं परन्तु वॉलेट नहीं बना है. यानि वॉलेट एड्रेस ही नहीं है और नहीं उसके पासफ्रेज है। तो ये भी देखनेवाली बात है की एक साल में कोइन कौनसे वॉलेट में ले जाना है। वो भी KYC पास करके। पाई की तरह इसका वॉलेट इसमें ही रहा और बिना कोई ज़ंज़ट के आइस कोइन सीधे मिल जाते हैं तो आसान रहेगा।
तो हे प्यारे दर्शकों, इतना जानने के बाद अब आप खुद डिसाइड कर ने में सक्षम होंगे की इस आइस प्रोजेक्ट को इंस्टॉल करके माइनिंग करना चाहते हैं या नहीं , अगर चाहते हैं तो ये इन्विटेशन कोड से ज्वाइन हो सकते हैं। और एक साल के लिए रेगुलर माइनिंग करके इसको एक चान्स दे सकते हैं। भविष्य में किसी एक्सचेंज पर इसका लिस्टिंग होता हे तो ये कोइनस को बेच कर प्रोजेक्ट में से निकल सकते हैं या फिर प्रोजेक्ट में डेवलपमेंट देख कर आप आगे का फैसला ले सकेंगे। परन्तु हाँ लोकअप सेटिंग यानि स्टेकिंग १०% आइस कोइन 1 साल तक का ही करें तो अच्छा रहेगा ताकि १ साल बाद कोइन मिले तो सेल करना आसान हो। ज्यादा माइनिंग रेट के लिए पांच साल तक लॉक कर दिए तो पांच साल तक इंतज़ार करना पड़ेगा। कम स्टेकिंग को बाद में चेन्ज करके बढ़ा सकते हैं परन्तु ज्यादा रेट लेने के हेतु एक बार बढ़ा दिया तो कम नहीं कर सकेंगे।
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